rhus tox 200 uses in hindi

Rhus tox | रस टॉक्स

रस टॉक्स
Rhus Toxicondendron

 

उतरी अमेरिका में होने वाली एक प्रकार की लता से बनाया जाता है

त्वचा रोगों, आमवाती दर्दों, टाइफाइड ज्वर श्लैष्मिक झिल्लियों के रोगों के लिए मुख्यतः इस दवा का प्रयोग किया जाता है। दर्द, अकड़न, ऑपरेशन के बाद होने वाले परेशानियों। फाड़कर अलग कर देने जैसा दर्द।

भीग जाने से, अधिक शारीरिक परिश्रम करने से, क्षमता से ज्यादा भार उठाने पर, पसीना के समय भीग जाने से बीमारी हो जाना।
कार्बन्कल की शुरआती अवस्था। ठण्डे मौसम में होने वाले आम वात।

मन – दुखी, निरुत्साह, बहुत अधिक बेचैनी, बार बार करवट बदलते रहना। रात में छट पटी। विछावन पर शांत से नहीं रह सकता।

नाक – छींके आना, भीगने के बाद सर्दी जुकाम होना, नाक की नोक लाल, छूने में संवेदनशील, नाक में सूजन, छोटे छोटे घाव, झुकने पर नाक से खून आना।

आँख – सूजी हुयी। लाल, पलकों का सूजन और आपस में चिपक जाना। आँखों को घुमाने या दबाने पर दर्द महसूस होना, हिलाने डुलाने में काफी तकलीफ महसूस होना।  पहले का चोट ग्रस्त हुआ आँख। पलकों को खोलने पर गरम झुलसाने वाले आंसू निकलते हैं।

सिर – उठते समय चक्कर आना, सिर भारी लगना मस्तिष्क ढीला ढाला महसूस होता है और चलते समय या उठते समय ऐसा लगना जैसे खोपड़ी से टकरा जायेगा। सिर में दर्द जो पीछे की ओर फ़ैल जाता है। स्कैल्प (scalp) में उद्भेद निकलना जिसमें खूब खुजली होती है।

पीठ – पीठ के निचले भाग में दर्द और अकड़न, गति करने से या किसी कठोर चीज पर लेटने से आराम। बैठे रहने से तकलीफ बढ़ती है। गर्दन के जोड़ की अकड़न, निगलने पर कन्धों के बीच दर्द।

ह्रदय – बहुत अधिक कार्य करने से ह्रदय तेज धड़कना, नाड़ी- तेज, दुर्बल और अनियमित, साथ में बाएं बाजू का सुन्नपन, चुपचाप बैठे रहने पर कम्पन और ह्रदय धड़कना.

श्वसन – सर्दी के समय या बिस्तर से बाहर निकलने पर हाथों को बाहर निकालने पर सूखी और तकलीफ देने वाली खाँसी होना। इन्फ्लुएंजा  के साथ हर जगह दर्द होना। बूढ़े लोगों में साँस नलियों से उठने वाली खाँसी जो की जागने पर अधिक होने लगती है।

ज्वर – कमजोरी के साथ ज्वर, बेचैनी, कंपकंपी। टॉयफॉइड ज्वर, जीभ सूखी हुयी कत्थई रंग की, दांतों पर मैल, मल पतला। ज्वर के साथ सूखी खाँसी और बेचैनी। गर्मी में पित्ती निकल आना। पानी भरे हुए दाने। ठण्ड की अवस्था में ऐसा महसूस होता है जैसे उसके ऊपर ठंडा पानी उड़ेल दिया गया है उसके बाद गर्मी लगना फिर अंगों को खींचने तानने और अंगड़ाई होना।

त्वचा – लाल, तेज खुजली सूजी हुयी, पित्ती। पानी से भरा हुआ छोटे छोटे दाने जिसमें खुजली होती है। जलन, छाजन के साथ पपड़ी बनना।

कान – कान में दर्द के साथ ऐसा लगना जैसे उसके अंदर कुछ हो। कनपटी सुजा हुआ।

मुँह – जीभ लाल और फटे हुए, नोक पर लाल त्रिकोण के आकार छोड़ कर लेपदार, ऊपरी जबड़े के जोड़ में दर्द

चेहरा – चबाते समय कड़कड़ाना, सुजा हुआ चेहरा,  चेहरा का स्नायू शूल जो शाम के समय बढ़े।

पुरुष  – ग्रंथियों और शिश्न मुंड पर गहरे लाल रंग की सूजन और दाने . अंडकोष मोटा, सुजा हुआ,  तेज खुजली।

बाहरी अंग – जोड़ो में दर्द, सूजन, गर्माहट, आमवात का दर्द, गर्दन के जोड़ के ऊपर दर्द जो कमर तक फैल जाता है चलने फिरने से राहत मालूम होना। अकड़े हुए अंग। पक्षाघात। ठंडी हवा सहन नहीं होती है। पैरों में झनझनाहट। अधिक कार्य करने या खुली ठंडी हवा आदि से सुन्नपन, कम्पन, पक्षाघात। घुटने के जोड़ के आसपास छूने से तकलीफ, बाजुओं और उँगलियों में शक्ति का अभाव और उँगलियों के पोराओं में चींटी रेंगने के जैसा अनुभव होना।

रोग बढ़ना – नींद के समय, ठण्डे और बरसात के मौसम में। नमी से, रात में, आराम करने के दौरान, पानी में भीगने से, पीठ के बल या दाहिनी करवट लेटने पर।

रोग में कमी – गरम हवा  गरम रूम से। शुष्क मौसम मे, चलने फिरने से, करवट बदलने से
मालिश से।

रोग के कारण – हलके क्रोध से, ठंड से, सिर भीग जाने से, अंगों पर जोर पड़ जाने से, अधिक बोझ उठाने पर, ठण्डे फ्रिज का पानी पीने से।

प्रतिकूल – एपिस मेल
पूरक – ब्रायोनिया, कैल्केरिया फ्लोर, फाइटोलक्का
तुलना करें – बैप्टीशिया, लैकेसिस, आर्सेनिक, हायोसायमस, ओपियम
मात्रा – 6, 30, 200, 1000

 

Source – मैनुअल ऑफ होम्योपैथिक मैटेरिया मेडिका by विलयम बोरिक

 

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