eczema akauta ka ilaj

एक्जिमा Eczema

Homeopathic medicine for eczema 

एक्जिमा (Eczema)

खुजली, जलन, दर्द के साथ त्वचा पर छोटे छोटे दानें निकलते हैं जिसे एक्जिमा कहते हैं। जितने तरह के त्वचा रोग होते हैं, उसमे एक्जिमा एक मुख्य रोग है और यह बहुत अधिक होने वाला त्वचा रोगों में से है। यह बीमारी शरीर के किसी भी स्थान में हो सकती है जैसे सिर, कान, हाथ, पैर, मुंह, जननांग आदि। कान के पीछे और माथे में यह रोग ज्यादा होते देखा गया है।

पहले वह स्थान लाल हो जाती है और फिर उस जगह पर छोटे छोटे या फटे-फटे एक तरह का दाना निकलता है, उसमे से पानी या चिपचिपा पदार्थ निकलता है, तेज खुजलाहट और जलन होती है। खानपान में गड़बड़ी, गर्म मौसम, गठिया, डायबिटीज़ आदि कारणों से भी यह रोग हो सकता है। अलग अलग व्यवसाय, धंधों और रहन सहन के कारण भी यह हो सकता है। जैसे राज-मिस्त्री, धोबी के काम से या त्वचा को ज्यादा रगड़ने से इस रोग का शुरुआत हो सकता है। ऐसे मुख्य रूप से सोरा (psora) दोष के कारण इस रोग का होना माना जाता है।

 

एक्जिमा के प्रकार (Eczema types)

एक्जिमा को हम मुख्य रूप से 3 भाग में बाँट सकते हैं –

  1. सुखा /खुश्क (dry) एक्जिमा

  2. बहने वाला (moist or weeping) एक्जिमा

  3. किसी खास स्थान पर होने वाला (Locality of eczema)

 

Eczema treatment

होम्योपैथिक दवायें (Homeopathic medicine )

Dry Eczema (खुश्क एक्जिमा)

सल्फर 30 दिन में 3 बार – त्वचा खुश्क, खुरदरी, छिछ्ड़ेंदार, तेज खुजलाहट। शरीर से बदबू, रोगी गंदा संदा सा दिखे। आँख की पलकें, कान, नाक सब आगे से लाल दिखाई देती है। बिस्तर की गर्मी बर्दास्त नही होती, पैरों में जलन। सुबह  10-11 बजे भूख बर्दास्त से बाहर।

एलूमिना 30 दिन में 3 बार – बेहद खुजली और खुश्क त्वचा इसका मुख्य लक्षण है, खुश्की के कारण त्वचा में सख्त दरारें। खुजलाते खुजलाते त्वचा छिल जाती है और वहा दानें हो जाती है। पहले त्वचा का खुजलाना और फिर वहा दाना हो जाना। साथ में सख्त कब्ज की शिकायत।

मेजेरियम 30 दिन में 3 बार- सिर में होने वाले एक्जिमा का मुख्य दवा। सिर के एक्जिमा में जब छिलके से परत जम कर उसके नीचे गाढ़ा, सफेद या गोंद जैसा मवाद हो जिससे बाल जटा की तरह जकड़ जाय।

टेल्यूरियम 30 दिन में 3 बार- कान के पीछे होने वाले एक्जिमा में विशेष रूप से उपयोगी है। अंगूठी की तरह गोल गोल निशान बनते हैं। यह दवा नाई के उस्तुरे से होनेवाले खुजली में भी काफी उपयोगी है। हाथ और पैर में होनेवाले एक्जिमा और खुजली।

सोरिनम 30 दिन में 3 बार- त्वचा का खुश्क होना और छिछ्ड़ेदार जो खासकर चेहरे पर और खोपड़ी पर हो। एक्जिमा से जो स्राव निकलता है उसके ऊपर पपड़ी जमता है, पपड़ी के नीचे जो स्राव निकलता है उससे पपड़ी उपर उठ जाता है और नीचे नए नये दाने बनते रहते हों। बदबूदार स्राव के कारण छिछ्ड़े/पपड़ी और नए दाने लगातार बनते  रहते हैं।

रस टक्स 30, 200 दिन में 3 बार – अगर त्वचा पर दाने और फुन्सियों हो जाने के बाद बहुत तेज खुजली हो 

पेट्रोलियम 30 दिन में 3 बार- जब रोग सर्दी में बढ़ जाए, खुश्की के कारण दरारें पड़ जाए और उसमे खून दिखे। गर्मी के दिनों में रोग ठीक हो जाए और जाड़ों के दिनों में फिर हो जाय।

 

बहने वाला एक्जिमा (Moist or Wet Eczema)

ग्रेफाईटिस 30, 200  दिन मे 3 बार- बहने वाले एक्जिमा का प्रमुख दवा | खुजलाने से शहद जैसा गाढ़ा स्राव निकलता है, गर्मी में और रात को परेशानी बढ़ जाता है (पुरानी बीमारी में 1M सप्ताह में 1 बार लेना चाहिए)

हिपर सल्फर 30 दिन में 2 से 3 बार – फुन्सियां जिस से मवाद निकलती है और खुजली होती है। छूने से तेज दर्द हो, एक्जिमा को छूने नही देता, रोग ठंडी हवा से तथा खुश्क हवा दोनों से बढ़े।

मर्क सोल 30, 200 दिन में 3 बार – जब खुजली रात में बढ़े, खुजलाने से खुजली और जलन बढ़ती है | सिर पर बहने वाला फुंसी 

सल्फर आयोड 30 दिन में 3 बार – यह दवा भी त्वचा के बहुत सारे  बीमारियों में उपयोगी है जैसे – मुहासे , बहने वाला एक्जिमा , चेहरे और दाढ़ी की खुजली जो नाई उस्तरे से हुई हो (barber’s itch ) 

 

खास स्थान पर होनेवाले एक्जिमा (Locality of Eczema)

कानों के पीछे – टेलूरियम, सोरिनम

हथेली , उँगलियाँ पर – ग्रेफाईटिस, मर्क सोल 

सिर पर – मेजेरियम 

जननांगों में – रस टक्स, सोरिनम 

माथे पर बालों की जड़ों में – हाईड्रैसटिस

 

चर्म रोगों से छुटकारे के लिए एक कप गाजर का रस रोज पीना चाहिए

पानी में निम्बु या नीम का तेल 4-5 बूंद डालकर स्नान करें 

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