What is Jaundice
Symptoms, Prevention and Treatment in Hindi
जौंडिस piliya (पीलिया) के लक्षण ,बचाव , और ईलाज
यकृत ( liver ) में गडबड़ी होने से पित्त (bile) पूरी तरह अवशोषित नही हो पाता है और खून में मिला रह जाता है इससे खून का वास्तविक रंग बदल जाता है और लिवर को अपनी क्षमता से अधिक जोर लगाना पड़ता है | लिवर बढ़ जाता है और कड़ा हो जाता है |
आजकल पीलिया से ग्रसित रोगी प्राय: पाये जाते है। कभी-कभी तो यहं महामारी (Epidemic jaundice) का रूप धारण कर लेता है। ऐसी धारणा है कि यकृत रोग से ही पीलिया रोग होता है, किन्तु ऐसी बात नही है। वास्तव में पीलिया स्वत: एक रोग नही बल्कि रोग का लक्षण है। यकृत के सूक्ष्म पित्त नलिकाये (bile canaliculi) या पित्ताशय (Gall bladder) से पित्त प्रवाह रूक कर या रस निकल कर जब आँत(duodenum) में न आ सकते है तब पित्त रक्त में मिलकर आँखों के श्वेत पटल (sclera), मुँह, हाथ, पैर, हाथ-पैरो के नाखून, समूचा शरीर को पीला कर देता है -इसको पीलिया, पाण्डु, कामला या कांवर और अंग्रेजी में Jaundice या Icterus कहते है। सही चिकित्सा हेतु जॉण्डिस की पूर्ण जानकारी आवश्यक है।
पीलिया लीवर से सम्बंधित एक बीमारी है | यह बीमारी रक्त में बिलुरुबिन की मात्रा बढ़ जाने के कारण होती है | सामान्यत: शरीर में बिलरुबिन की मात्रा 0.2mg/dl से 1.2 mg/dl होती है लेकिन जब इसकी मात्रा बढकर 3 से अधिक हो जाती है तो पीलिया के लक्षण दिखाई देने लगता है. यह हेपेटाइटिस A या C वायरस के कारण होता है | अगर इस बीमारी का ठीक से इलाज न किया गया तो यह बिगड़ जाता है और हेपेटाइटिस B हो जाता है जों जानलेवा भी हो सकता है |
लक्षण
Jaundice Symptoms
सर्वप्रथम पीला पेशाब से ही पीलिया रोग प्रारंभ होता है। उसके बाद धीरे-धीरे समूचा शरीर और फिर पसीना भी पीला हो जाता है। .
- पीलिया के लक्षण दिखाई पड़ने के पहले ज्वर हो सकता है।
- भूख नही लगती।
- मिचली होती है
- नाड़ी की गति मन्द पड़ जाती है कभी-कभी नाड़ी का स्पन्दन 30 से 40 प्रति मिनट हो जाता है
- मुंह का स्वाद कडवा हो जाना , कब्ज , बुखार , कमजोरी, सुस्ती आदि |
- पेट में दर्द होना , खासकर पेट के दाहिने तरफ
- मल(stool) का रंग बदल जाना ,कब्ज, मिट्टी के रंग के दस्त, अवरोधक जॉण्डिस में मल उजला हो जाता है। कभी-कभी पतले दस्त आते है, पेट फूलने के साथ बदबूदार मल।
- कमजोरी अनुभव होता है।
- नीन्द नही आती है
- इस रोग में रोगी के शरीर की त्वचा (skin) , आँखों के सफेद भाग , नाख़ून, और पेशाब का रंग पिला हो जाता है
- रोग अधिक बढ़ जाने पर रोगी को सब चीजें पिला दिखाई दे सकता है |
- रोग पुराना हो जाने पर हाथ-पांव तथा मुंह आदि में सुजन भी आ सकती है
पुराने अवस्था में शरीर में भयानक खुजली होती है। अंतिम अवस्था में होने पर, पित अथवा पित्त मिलकर रक्त विषाक्त होने पर, बेहोशी, खीचन,मानसिक असंतुलन आदि लक्षण प्रकट होते है।
पीलिया का जितना जल्दी पता लगा लिया जाए उसका इलाज उतना जल्दी हो जाता है
NOTE– ऐसा हो सकता है कि कुछ रोगियों की आंख, नाखून या शरीर आदि पीले नही दिख रहे हों परन्तु वे इस रोग से ग्रस्त हो
बचाव के उपाय (Prevention)
- यह बिमारी अधिकतर ऐसे जगहों पर अधिक होता है जहाँ लोग आस पास के वातावरण को साफ़ नही रखते या खाने पींने की चीजों के सफाई और शुद्धता पर ध्यान नही देते |
- खाने पीने की चीज पर ध्यान देना बहुत जरूरी है , फल -सब्जी आदि खाने से पहले ठीक से धोंये
- पीने के पानी पर अधिक ध्यान देना चाहिए | जों पानी पीया जा रहा है वह बिलकुल शुद्ध हो इस बात का ध्यान रखना अत्यंत जरूरी है
- मक्खियों को फैलने न दे
- नाख़ून समय समय काटते रहना चाहिए
- पानी में क्लोरिन डालकर प्रयोग में लाये
- अगर महिला गर्भ वती हैं तो hepatitis वायरस की जांच जरुर कराना चाहिए
ईलाज (Treatment)
होम्योपैथीक दवा से इसका इलाज करना बहुत ही सुरक्षित रहता है और कोई साइड इफ्फेक्ट का डर नही रहता I अगर ठीक ढंग से दवा लिया जाए तो जांडिस जड़ से ठीक हो जाता है और liver मजबूत हो जाता है
जांडिस का मुख्य दवाएं जो की जांडिस को 100 % ठीक कर देती है वो भी बिना कोई साइड इफ्फेक्ट के बल्कि इन दवाओं से liver और मजबूत हो जाता है और पाचन शक्ति भी बढ़ता है
प्रमुख औषधियाँ (A mixture of medicines for jaundice)
♦ Lycopodium (लाईकोपोडियम) 1M 2-3 बूंद सप्ताह में 1 बार
♦ china(चाइना) 200 – ( 3-3 बूंद दिन में 3 बार )
♦ Carduus (कार्डूअस) + Chelidonium (चेलिडोनियम)Q – 1 औंस – (दिन में 3 बार 15 -15 बूंद पानी के साथ )
♦ Kalmegh (कालमेघ)Q – 1 औंस – (दिन में 3 बार 10-10 बूंद पानी के साथ )
अगर ये सब दवाओं को नियमित रूप से लिया जाय तो liver का हर तरह गड़बड़ी ठीक होकर जांडिस पूरी तरह ठीक हो जाता है
अन्य औषधियाँ
अगर यकृत खूब बड़ा हो जाये, दर्द, अरुचि, कब्ज, हर बार गर्मी के दिनों में या बीच-बीच में कभी कभी पीलिया रोग हो जाना, जीभ पर परत, प्लीहा बढ़े हुए – चियोनैन्थस वर्ज Q, Carica papaya (कैरिका पपया) Q
मलेरिया आदि रोग के बाद – आर्सेनिक 30, चाइना 30
जब यकृत और प्लीहा दोनों बढ़े हुए हो – चाइना 6, 30
मुंह का स्वाद तीता, कब्जियत, मितली और उलटी – कार्डूअस Q, 3x, 30
अत्यधिक अल्कोहल या शराब का प्रयोग करने से – नक्स वोमिका 30
आराम की जिंदगी जीने वालों में जिन्हें अक्सर की गड़बड़ी की शिकायत रहती है – नक्स वोमिका 30
परहेज
• तेल मसाले , कॉफी, मांस मछली और अंडे न लें , सादा उबला खाना खाएं , जूस , पपीता , मीठा फल , गन्ना का जूस , मुली खूब लें | नमक कम कर देना चाहिए |
jaundice जौंडिस में खान-पान और सावधानियाँ
कामला (Jaundice) – क्या क्या आहार लें और क्या नहीं
♦ खटाई, लाल मिर्च, मसाले वाली चीजे तया चिकनाई युक्त आहार, घी, तेल, हल्दी न खाये । राई, हींग, तिल, वेसन, कचालू, अरबी न ले।
♦ चने और उड़द की दाल, उड़द और मैदे से बने भोज्य पदार्थ, केक, तले हुए पदार्थ, पित्त पैदा करने वाली और जलन करने वाली चीजों का सेवन बन्द कर दें।
♦ गन्ने का रस लेना बहुत अधिक फायदेमंद है|
♦ धुम्रपान,शराब, मांस , मछली , अंडा, चाय , कॉफी और मादक पदार्थों का सेवन न करें।
♦ अशुद्ध जल और अशुद्ध तथा बासी खाद्य पदार्थों का प्रयोग न करे।
♦ खाने मे पुराने गेहूँ और जौ की रोटी बिना घी की दे। दलिया दे सकते हैं।
♦ जौ का सत्तु लेकर ऊपर से गने का रस पीना अधिक लाभदायक है।
♦ मूंग की दाल का पानी लें अथवा बिना मसाले की मूंग की दाल में काला नमक और काली मिर्च मिलाकर लें। मूंग, मसूर, अरहर का सार (Juice) भी पथ्य है।
♦ छाछ-एक गिलास में एक चुटकी काली मिर्च मिलाकर एक सप्ताह लगातार लेने से कामला (जौंडिस) नष्ट होता है।
♦ शाक सब्जियों में परबल, कच्ची मूली कद्दू , तोरई, टिन्डे, पालक, पोदीना, धनियाँ, ऑवला, टमाटर इत्यादि ले सकते है।
♦ त्रिफला-पानी लेना बहुत फायदेमंद होता है। यह साधारण जुलाव का भी काम करता है। मूली के हरे पत्तो के 50 ग्राम रस में 10 ग्राम मिश्री मिलाकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट में 1 सप्ताह तक लेने से फायदा होता है |
♦ पुदीने का रस चीनी मिलाकर सुबह 10 दिनों तक लेना जौंडिस में गुणकारी है|
एक कप पानी में एक चम्मच ग्लूकोज डालकर सुबह,दोपहर,और रात में पीना चाहिए |
♦ यदि दूध लेना है तो लोहे की कड़ाही में गर्म कर उसका छाली हटाकर, दूध में बराबर भाग में पानी मिलाकर कुछ सौफ के दाने और मिश्री डालकर सेवन करें।
♦ सभी फलों को अच्छी तरह से पानी में धो लेने के बाद ही लेना चाहिए| मीठा अनार (बेदाना) , मीठा संतरा ,अंगूर,मुसम्मी ,पपीता,चीकू,खजूर भी फायदेमंद है |
♦ सबेरे खाली पेट में प्रतिदिन दो संतरा खाएं या संतरे का रस पीयें |
➡ संतरे का रस, कच्चे नारियल या डाभ का पानी , जौ का पानी , बेदाना (मीठा अनार ) का रस, मूली के पत्तों का रस , फटे दूध का पानी , काली मिर्च एवं थोड़ा सेंधा नमक मिलाकर पतली छाछ पीना फायदेमंद है |
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