कब्ज क्या है
What is Constipation
जो हम रोज खाते हैं वो पचकर मल में परिवर्तित होकर बाहर निकल जाता है और जरूरी पोषक तत्व शरीर ग्रहण कर लेता है| यह स्वाभाविक प्रक्रिया है | लेकिन जब मल पूर्ण रूप से बाहर नहीं निकल पाए या कई दिनों के बाद निकले या आसानी से न निकले और पेट साफ़ न हो पाए तो इसको कब्ज (constipation) कहा जाता है | प्रतिदिन पेट का साफ़ न होना ही कब्जियत कहलाता है|मलत्याग के बाद भी सनतुष्टि नही होता और लगता है की आंत में अभी मल है |
कब्ज के लक्षण (symptoms of constipation)
- मल आंत में काफी दिन तक रुका हुआ रह सकता है, अगर रोज निकलता भी हो तो तो काफी मुश्किल या कष्ट से , कभी कभी ऐसा स्थिति हो जा सकती है की बहुत जोर और काफी कोशिस करने के बाद भी थोडा निकले |
- सामान्य रूप से कोई आदमी रोज एक बार पखाना जाता है , किसी किसी को प्रतिदिन 2 बार जाने की आदत होती है | अगर कोई व्यक्ति 1 दिन या 2 दिन तक पाखाना जाने की जरूरत महसूस न करे और इससे उसे किसी तरह की परेशानी महसूस न हो तो ये गम्भीर बात नहीं है | मगर सप्ताह में 2 से अधिक दिन तक मल त्याग न हो तो ये कब्ज का लक्षण है,
- मल कड़ा हो जाता है और उसका वेग कम हो जाता है तथा मलत्याग के समय अधिक जोर लगाना पड़ता है जिससे काफी कष्ट भी हो सकता है |
- जीभ का रंग सफ़ेद या मटमैला हो जाता है
- सिर दर्द
- भूख कम या नही लगना
- अरुचि
- मुह बेस्वाद
- पेट तन जाना , पेट में सुजन और दर्द
- चिडचिडापन
- अनिद्रा
- पाचन शक्ति कमजोर हो जाना
- आँख में ऐसा महसूस हो जैसे कुछ सामने उड़ रहा हो
कारण
- अधिक मात्रा में तेल मसाले वाले चीजें खाने से
- पौष्टिक आहार की कमी
- पाखाना लगने पर ठीक उसी समय न जाकर बाद में जाने की आदत से बाद में कब्ज हो जाता है
- खाने में रेशों या फाइबर की कमी
- रोज मांस खाने से कब्ज होता है
- किसी एक ही तरह का चीज रोज खाने से
- शारीरिक निष्क्रियता (physical inactivity)
- बार बार पेट साफ़ करने का दवा और जुलाब लेने से शरीर इसका आदि हो जाता है और कब्ज होने की सम्भावना होती है
- दूध या डेयरी उत्पाद ज्यादा खाने से
- कोई बिमारी हो जाने से भी कब्ज हो सकती है
होम्योपैथिक दवाईयां
Best Homoeopathic medicine for Constipation
- नक्स वोमिका (Nux vomica) 30 या 200 रोज रात को सोते समय और रोज सुबह सल्फर (sulphur 30) – साधारण कब्ज के लिए काफी फायदेमंद है
- हाईड्रैसटिस (Hydrastis Can Q )10-10 बूंद पानी के साथ दिन में 3 बार )- कभी कब्जियत कभी अतिसार, कब्ज के साथ खट्टी डकार ,सिर दर्द , पेट धंसता हुआ महसूस हो , हल्का हल्का दर्द हो
- ओपियम (Opium 30 या 200) – मल त्याग की इच्छा बिल्कुल नही के बराबर, मल छोटी छोटी गोलियों के रूप में हो, कई दिनों तक पाखाना न होना
- एलुमिना (Alumina 30 या 200) – जब मल बहुत कड़ा हो जाय और काफी मुश्किल से निकले, मल निकलने के बाद दबाने जैसा या कतरने जैसा दर्द हो मलद्वार में, मल काला और गुठली के जैसा
- कॉस्टिकम (Causticum 30) – बार बार पाखाना जाने की इच्छा लेकिन होता नहीं है, मल सुखा और कड़ा, बैठने की अपेक्षा खड़ा रहकर मलत्याग आसानी से कर सकता है |
- ब्रायोनिया (Bryonia 30 )– मलद्वार निष्क्रिय, आतें काम करना बंद कर दे, मलत्याग की इच्छा ही नही होती, मल सुखा ,कड़ा और काला हो
- प्ल्म्बम मेट (plumbum met 30) – इच्छा होती है पर मल काफी मुश्किल से निकले, ये दवा खासकर पुराने कब्ज में उपयोगी है
- लायकोपोडियम(Lycopodium 30 ya 200)– जब मलद्वार में डाट सी लगी हुई महसूस हो
आहार
- पानी अधिक से अधिक पीना चाहिए
- साग सब्जियां, सलाद , रेशेदार ताजे फल और मोटे अनाज अधिक खाना चाहिए
- बथुआ, पालक, कलमी आदि कोई एक साग रोज जरुर खाएं
- रात में रोटी खाएं
- सुबह उठकर हल्का गर्म पानी पीयें
- हल्का और सादा भोजन करें
- व्यायाम करना चाहिए
परहेज
- खाने बनाने में गरम मसालों और लहसुन का प्रयोग न करें
- मैदा से बनी चीजें जैसे ब्रेड ,केक ,पेस्ट्री ,बिस्किट ये सब बिलकुल नही खाना चाहिए
- मांस मछली न खाएं (अगर जरूरी हो तो सिर्फ मछली सप्ताह में 1 दिन खाएं )
- अधिक रात तक नहीं जागना चाहिए