Hydrocele ka homeopathic medicine
अंडकोष को अंग्रेजी में टेस्टिकल बोला जाता है. इसमें दो ग्लैंड होता है। वीर्य का निर्माण करना ही इसका मुख्य काम है। लिंग के जड़ से होते हुए एक चमड़े की थैली (स्क्रोटम) के अंदर ये दोनों ग्लैंड होते हैँ. थैली के भीतर का एक पर्दा इसको 2 भाग में बाँट देता है जिसके कारण दोनों ग्लैंड अलग अलग रहते हैँ।
अंडकोष मे होने वाले बीमारियों के कुछ नाम इस प्रकार है –
- आर्काइटिस या एपीडीडाईमिटिस
- हाइड्रोसिल
- वेरिकोसिल
- लिम्फ स्क्रोटम
हाइड्रोसिल (hydrcele) – अंडकोष का जो मोटा चमड़ा होता है, उसमें दो परत होता है. दोनों परतों मे से एक तरह का पानी के जैसा पदार्थ निकलकर दोनों परतों को मुलायम और तर रखता है, जिससे दोनों परत एक दूसरे के साथ सट नहीं सकते।
लेकिन जब किसी कारण से वह पानी के जैसा पदार्थ या पानी अधिक मात्रा मे निकलने लगता है और उसका अवशोषण ना होकर दोनों परतों के बीच मे जमा होता जाता है और फिर धीरे धीरे बढ़ता जाता है इसको ही अंडकोष मे जल जमा होना या हीड्रोसिल कहते हैँ।
देखने से ही पता चल जाता है की अंडकोष का आकार समान्य से बड़ा हो गया है। कभी कभी तो यह नारियल के साइज के आकार का हो जाता है। यह सिर्फ एक कोष मे या दोनों मे भी हो सकता है। कोष के चमड़े मे सूजन के साथ यह मोटी हो जाती है। एकादशी से पूर्णिमा तक यह बढ़ सकता है और फिर घट जाता है। पानी अधिक भर जाने से थैली तरबूज जैसी बड़ी हो जाती है।
कारण
चोट लग जाने, कोई पुरानी बीमारी से ग्रसित रहने से, जलोदर, छाती मे जल जमा हो जाने से लात मारने आदि से हो सकते हैँ। कभी कभी स्वस्थ युवकों और लड़को को भी हो जाता है। वृद्धावस्था में रक्त जल की तरह फीका हो जाने से अंडकोष चिकना, चमकदार और बहुत कड़ा हो जाता है।
Best homeopathy medicine for hydrocele
होम्योपैथिक ईलाज
Homeopathic treatment
जन्मजात (Congential Hydrocele)
ब्रायोनिया 30 या 200 – दिन में 3 बार – अगर रोग जन्म से ही हो।
एब्रोटेनम 30 या 200 और ग्रेफाईटिस 30 या 200– दिन में 3 बार – बच्चों की अंडकोष बढ़ जाने पर।
कारणजात (Acquired Hydrocele)
आर्निका 30 या 200 – दिन में 3 बार अगर चोट लग जाने के कारण हुयी हो।
रोडोडेन्ड्रान 30 – दिन में 3 बार – दाये तरफ रोग. फूल कर कड़ा हो जाये।
पल्साटिला, स्पॉन्जिया 30 या 200 – अगर बाएं तरफ हो
एपिस मेल 30 या 200 – अगर सूजन के साथ डंक मारने के जैसा दर्द हो
बीमारी अगर ठंड लगने से हो जाए – रस टॉक्स 30 या 200. दिन में 3 बार।
कैल्केरिया फ्लोर 12x या 30 – दिन में 4 बार – फूलकर कड़ा हो जाये, प्रायः हर लक्षणों के साथ अंडकोष बढ़ जाने पर उपयोगी दवा
हैमामेलिस – वृषण रज्जु (spermatic cord ) में दर्द जो अंडकोष ग्रंथियों तक फैल जाता है, अंडकोष में दर्द और बढ़ी हुयी, गरम और दर्दनाक।
अन्य होम्योपैथिक दवा – एम्पीलोप्सिस