Diabetes in hindi
डायबिटीज (Diabetes)
बहुमूत्र
डायबिटीज का दूसरा नाम— ग्लाइकोजुरिया है हिंदी में इसे–– बहुमूत्र रोग मूत्रमेह या मधुमेह ––कहा जाता है
बहुमूत्र दो प्रकार का होता है
(1) डायबिटीज मेलिटस मधुमेह (diabetes mellitus)
(2) डायबिटीज इनसिपिडस मूत्रमेह (diabetes insipidus)
बहुत ज्यादा परिमाण में बार-बार स्वच्छ पानी की तरह पेशाब तथा रक्त में जो शुगर यानी चीनी पैदा होती है वह (शुगर )पेशाब के साथ ज्यादा मात्रा में निकलने लगे और इस वजह से शरीर के पोषण में बाधा पड़े तो उस रोग को -–(1) डायबिटीज मेलिटस
(मधुमेह) कहते हैं और बहुत ज्यादा मात्रा में जल्दी-जल्दी पेशाब होता हो लेकिन पेशाब में चीनी या और कोई दूषित पदार्थ ना रहे, तो उसको —(2) डायबिटीज इनसीपीडस (मूत्रमेह) कहते हैं.
खून में चीनी कैसे जमती है और बहुमूत्र रोग में यह पेशाब के साथ कैसे निकलता है —
हम लोग चावल, आटा, मैदा, आलू आदि जो पदार्थ रोज खाते है और भोजन के साथ गुड़, चीनी आदि जो मीठा (cane sugar) खाते हैं वह आँतों में पचकर रस के रूप में रसवाही नाड़ी (थोरासिक डक्ट) के रास्ते शरीर के अलग अलग स्थानों में घूम कर जब यह लीवर में आता है उस समय यकृत उसको ग्लाइकोजेन में परिवर्तन करके लिवर सेल के भीतर ही रख देता है, बाद में वह ग्लाइकोजेन यकृत से पोर्टल वेन (portal vein) में प्रवेश करता है और वहां शुगर के रूप में परिवर्तित हो जाता है और फिर वहां से यह इनफिरियर वेनाकावा से हृत्पिण्ड, फिर यहाँ से फेफड़ों में और फेफड़ों से घूम कर खून के साथ हृत्पिण्ड में और तब शरीर के सभी भागों में आवश्यकतानुसार पहुंच जाता है.
बहुत दिनों तक उपवास करने से शरीर का जो क्षय होता है वह अन्य खाद्य पदार्थों की अपेक्षा शुगर से वह क्षय जल्दी से पूरा होता है, शुगर शरीर का ताप बढ़ाता है | भात और रोटी की अपेक्षा यह जीवनी शक्ति को शीघ्र और अधिक बल प्रदान करता है जर्मनों ने परीक्षा करके देखा है की उनकी सेना को जब ज्यादा दूर और ज्यादा बैग से पैदल जाना पड़ता है उस समय अन्य खाद्य की अपेक्षा शुगर से ही उनकी शक्ति की अधिक रक्षा होती है.
कुछ भी हो स्वस्थ शरीर में इस शुगर से शरीर में तेज उत्पन्न होता है पर जब किसी भी कारण से यकृत की उपरोक्त क्रिया में रुकावट या गड़बड़ी होने से ग्लाइकोजन शुगर में बदल नहीं पाता और सबका सब पेशाब की राह से निकल जाता है इसी का नाम डायबिटीज मेलिटस या मधुमेह है स्वस्थ अवस्था में शुगर पेशाब के साथ प्रायः निकल नहीं सकता लेकिन जब बहुमूत्र हो जाता है तो किसी किसी रोगी में जिस मात्रा मे स्टार्ची food और भोजन के साथ मीठा खाते हैं ठीक उसी मात्रा में उनके पेशाब के साथ शुगर निकलता है और फिर किसी किसी रोगी में मीठी चीज, चीनी या अधिक स्टार्च वाले भोजन आदि नहीं खाने पर भी उनके पेशाब के साथ चीनी निकलती है |
यह विशेष प्रकार की बीमारी (जिसमें मीठा बगैरह ना खाने पर भी शुगर निकलता है) बहुत ही खतरनाक या घातक होती है, यह चीनी या शुगर यकृत में अपने आप तैयार होती है, स्टार्ची भोजन नहीं करने और सिर्फ तेल, घी, दूध आदि फैट वाले पदार्थ खाने पर भी उससे यकृत में शुगर तैयार होती रहती है —यह भी यकृत का एक प्रधान काम है.
लक्षण के अनुसार डायबिटीज मेलिटस दो प्रकार होता है –
- सहज प्रकार का और
- कठिन प्रकार का
सहज प्रकार की बीमारी में –
रोगी विशेष कमजोर नहीं होता, शरीर के रक्त का अधिक क्षय नहीं होता’, चेहरे में भी कोई खास बदलाव नहीं होता, खूब हष्ट पुष्ट रहता है | ख़त्म ना होने वाली प्यास, बहुत ज्यादा भूख, बहुत ज्यादा पेशाब — इसमें से कोई भी लक्षण नहीं रहता सिर्फ पेशाब की परीक्षा करने पर —-शुगर, यूरिया, यूरिक-एसिड आदि पाए जाते हैं यह बहुत हल्की बीमारी है इसमें केवल खानपान में जरा सावधानी रखने से यानी भात, रोटी आलू आदि और शर्करा जातीय (स्टार्ची और कार्बोहाइड्रेट्स) तथा चीनी आदि मीठी चीजें खाना बंद कर देने से पेशाब के साथ शुगर निकलना बंद हो जाता है और रोगी ठीक हो जाता है इस तरह की बीमारी में रोगी बहुत दिनों तक जीवित रह सकता है यह बीमारी प्रायः 40 वर्ष के ऊपर की उम्र में होती है |
कठिन प्रकार की बीमारी में –
ऊपर लिखे हुए खानपान बंद कर देने के बाद भी पेशाब के साथ चीनी निकला करती है | या चीनी यकृत में तैयार होती है, इसमें रोगी, जल्दी-जल्दी कमजोर होता जाता है शरीर शीघ्रता से दुबला और सुखता जाता है, चेहरा फीका पड़ जाता है | बहुत ज्यादा भूख, शरीर में बहुत जलन, यकृत में गड़बड़ी के कारण पाचन शक्ति में गड़बड़ी और प्यास की अधिकता, बहुत ज्यादा मात्रा में रंगहीन साफ़ पानी जैसा पेशाब इत्यादि लक्षण प्रकट होते हैं | रोग देखते-देखते बढ़ जाता है और अंत में रोगी की मृत्यु हो जाती है 40 वर्ष से नीचे की उम्र में इस जाति की बीमारी होती है इस बीमारी में स्नायु नर्व्स पर अधिक आक्रमण होता है इस बीमारी में अगर इलाज और खानपान पर ध्यान रखा जाए तो रोगी बहुत दिनों तक जी सकता है, लेकिन डायबिटीज कोमा (बहुमूत्र जनित बेहोशी) हो जाने पर रोगी बहुत जल्द मर जाता है | बेहोशी होने के पहले —(1) जबरदस्त कब्ज रहता है (2) पेशाब का मात्रा बिल्कुल घट जाता है (3) पेशाब में चीनी बिल्कुल नहीं रहती और (4) भूख नहीं लगती- ये 4 लक्षण प्रकट होते हैं. अगर यह लक्षण प्रकट हो तो समझना चाहिए कि रोगी का भावी फल अच्छा नहीं है
इस अवस्था में शरीर ठंडा पड़ जाता है, नाडी कमजोर लेकिन चाल तेज रहती है, हाथ पैर नाखून उंगलियों का नाखून नीले दिखाई देते हैं, चेहरा सिकुड़ सा जाता है आंखों ऊपर की ओर चढ़ी रहती है| समझ या सुधबुध ही बहुत ही कम रहता है, कोई कुछ पूछता है तो चुपचाप टकटकी उलगाकर देखता रहता है, सांस जोर जोर से चलती है, रोगी के मुंह और बिछावन पर एक प्रकार की सुगंध निकलती है (रक्त में एसिटोन पैदा होने से ऐसी गंध निकलती है जो प्रायः तीन-चार दिन बाद ही चली जाती है और फिर रोगी की मृत्यु हो जाती है इसमें रोगी प्रायः नहीं बचता. ऐसे बहुत से आदमी हैं जिन्हें कोई भी बीमारी नहीं मगर उनके पेशाब की जाँच में उसमें कुछ ना कुछ चीनी मिलती है | उनमें बहुमूत्र रोग के और कोई लक्षण बिल्कुल नहीं मिलते यह कोई विशेष रोग नहीं बल्कि मीठी चीजें कुछ ज्यादा मात्रा में खाने के कारण ही ऐसा होता है चीनी खून के साथ बहुत जल्द मिल जाती है और स्वास्थ्य के लिए रक्त के साथ चीनी जितनी मात्रा में रहना चाहिये उससे कुछ भी ज्यादा होते हैं प्राकृतिक तरह से पेशाब की राह से से निकाल देती है.
diabetes symptoms
डायबिटीज मेलिटस के लक्षण diabetes mellitus symptoms in hindi
इसके प्रधान लक्षण 4 हैं:—(1) बहुत प्यास (2) बहुत ज्यादा भूख (3) अधिक मात्रा में चीनी युक्त और रंगहीन पेशाब और (4) शरीर शुष्क तथा कमजोर हो जाना
विशेष लक्षण—मामूली बहुमूत्र रोग होने पर दिन में 8– 10 पाउंड पेशाब होगा तथा आपेक्षिक गुरुत्व (specific gravity) 1020 से 1040 तक होगा परंतु कठिन प्रकार की बीमारी में —24 घंटे में 50 – 60 पाउन्ड तक पेशाब होता है (एक पाउंड लगभग आधा किलो का होता है) और पेशाब का अपेक्षित गुरुत्व 1050 से 1060 तक हो सकता है अपेक्षित गुरुत्व कम यानी 1015 से 1020 होने पर भी पेशाब में शुगर रहता है | स्वस्थ व्यक्ति के पेशाब का आपेक्षिक गुरुत्व 1015 -1025 रहता है | बहुमूत्र-रोगी के पेशाब में शुगर के अलावा एल्बुमेन और काइल (अन्नरस) भी रहता है इस बीमारी में बहुत ज्यादा पेशाब होने के कारण रोगी का मुंह सुखा और लसलसा हो जाता है, मुंह का स्वाद मीठा या खट्टा रहता है | कठिन प्रकार की बीमारी में पेशाब तीव्र होने के कारण मूत्र नली के मुंह पर घाव हो, जाता है पेशाब होते समय जलन होती है पेशाब से बदबू आती है, पेशाब में शुगर रहने के कारण रोगी जहां पेशाब करता है वहां मक्खी बैठती है और चीटी लगती है शरीर में खाज हो जाती है जन इंद्रियों में में इंद्रियों में खुजली, फ़ोड़ा और एक प्रकार का घाव होता है | दांत की जड़ शिथिल हो जाती है और उसमें से खून निकलता है पेट हमेशा खाली मालूम होता है और इसलिए बार-बार खाना चाहता है भूख और प्यास से किसी तरह संतुष्टि नहीं होती, सिर के बाल झड़ जाते हैं, हाथ पैरों में जलन होती है कमर में दर्द होता है.
रोगी की पुरानी अवस्था में –
पतले दस्त, कभी-कभी कब्ज और सूखा पाखाना होता है | फोड़ा या कार्बंकल अक्सर होते रहते हैं शरीर का कोई स्थान अगर कट जाता है या कहीं चोट लग जाती है या किसी अस्त्र से कटकर घाव हो जाता है तो वह जल्दी ठीक नहीं होता , सड़ने (गैंग्रीन) लगता है और उसी से मृत्यु हो जाती है | इस बीमारी में आँखें कमजोर हो जाती है आंख में मोतियाबिंद हो जाता है शरीर का ताप घटकर 96-97 डिग्री हो जाता है | अगर रोगी को कभी बुखार आता है तो पेशाब जाँच करने पर चीनी नहीं मिलती.
डायबिटीज के जितनी भी उपसर्ग है उसमें प्रधान और घातक उपसर्ग हैं —-डायबिटिक कोमा, यह कभी-कभी अचानक पैदा हो जाता है, कोमा ( अचेतन या बदहवास )होने के पहले रोगी को भूख नहीं लगती, पेशाब में चीनी नहीं रहती, पेशाब की मात्रा घट जाती है कब्ज रहता है — ऐसे बहुत सारे लक्षण प्रकट होते हैं | बेहोश हो जाने पर रोगी आंखें बंद करके मुर्दे की तरह पड़ा रहता है, होश प्रायः नहीं रहता, कोई बात पूछने पर भी उत्तर नहीं देता जोर जोर से सांस चलती है, आंखें बैठ जाती है और मुंह सिकुड़ जाता है नाड़ी कमजोर किंतु उसकी चाल तेज होती है शरीर ठंडा पड़ जाता है इस अवस्था में रोगी दो-तीन दिन तक जीवित रह कर आखिर मर जाता है.
रोग होने का कारण
1 वंश गत दोष अर्थात पिता माता की बीमारी रहने से संतान को भी हो जाती है, सौ में 30 मनुष्य को इसी कारण से बीमारी होती है |
2.अधिक मात्रा में श्वेत सार या मंड युक्त खाद्य (स्टार्ची फ़ूड ) खाना |
3.बहुत ज्यादा चिंता अध्ययन तथा मानसिक परिश्रम करना और शारीरिक मेहनत ना करना
4. हूपिंग-खांस, मिर्गी या सन्यास (एपोप्लेक्सी) इत्यादि कुछ बीमारियों से भी डायबिटीज हो जाता है.
5. एकाएक बहुत मोटा हो जाना भी डायबिटीज का पूर्व लक्षण है
6.यकृत मस्तिष्क और मेरुमज्जा में चोट लगना तथा पैंक्रियाज ग्रंथि की बीमारी
7. गठिया, मलेरिया और गर्मी की बीमारी के साथ डायबिटीज बहुमूत्र हो जाता है
8. क्लोरोफॉर्म आदि सूंघने के द्वारा शरीर विषाक्त हो जाने से भी बहुमूत्र हो जाता है.
स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों को या बीमारी ज्यादा होती हैं और संख्या की दृष्टि से 30 से लेकर 50- 60वर्ष की उम्र के भीतर ही रोगियों की संख्या ज्यादा होती है
इसके प्रधान लक्षण 4 हैं (1 ) बहुत ज्यादा भूख , (2) बहुत ज्यादा परिमाण में चीनी, (3) बहुत ज्यादा परिमाण में चीनी युक्त पेशाब (4) बहुत भूख
चिकित्सा और खानपान–—
diabetes diet in hindi
बहुमूत्र के रोगी को खाने-पीने के विषय में अत्यंत सावधानी से काम लेना चाहिए और कुछ विशेष नियमों का पाबंद रखना चाहिए | सिर्फ भोजन की आदत बदल लेने से ही क्रमशः पेशाब की मात्रा, शुगर की मात्रा, और प्यास की मात्रा घटकर रोगी धीरे-धीरे आरोग्य हो सकता है या बहुत दिनों तक अच्छी तरह रह सकता है. ऊपर में जैसा की कहा गया है कि भात, आटा, मैदा, आलू, वार्ल़ी कार्बोहाइड्रेट्स चीनी या चीनी सुधा मीठे पदार्थ खाने से यकृत में शुगर तैयार होता है लिहाजा यह सब चीजें तथा जिन फल और साग सब्जियों में शुगर का अंश अधिक हो उसका खाना बिल्कुल छोड़ देना चाहिए | शरबत, लेमोनेड आदि जिन-जिन पीने की चीजों में चीनी का अंश है उसको पीना भी मना है. डायबिटीज के रोगी के लिए एल्बुमिनेट्स और फैट्स जाति के खाद्य जैसे मांस, अंडे, थोड़ी मात्रा में दूध, दूध की मलाई, मट्ठा, दही, मक्खन इत्यादि और साफ किया हुआ पानी भरपूर पीने को दें | इस बीमारी में एल्कलाइन वाटर, बिची-वाटर लंडन-डेरिलिथिया, कार्ल्सबाड वाटर आदि विशेष लाभदायक है, यह भोजन के 1 घंटा पहले पीना चाहिए | बिना चीनी की चाय या कॉफी पी जा सकती है, और थोड़ी ग्लिसरीन या सेकरीन भी दी जा सकती है. अगर रोगी इस तरह से संयमित आहार पर रहे और बीमारी उसकी हल्के ढंग की हो तो सिर्फ इतने से ही पेशाब में चीनी निकलना बंद कर हो जाएगा. अगर बीमारी कड़ी हो तो शुगर निकलना बिल्कुल बंद ना होने पर भी शुगर की मात्रा बहुत घट जाती है और प्यास बगैरह अन्य लक्षण भी कम हो जाते हैं.
डायबिटीज रोग में उपयुक्त प्रकार के आहार की व्यवस्था होने पर भी और एक बात सोचने की है की है वह यह है कि जो व्यक्ति दुर्बल और दुबले-पतले हैं या रोग के कारण बहुत कमजोर हो गए हैं उनको भात रोटी बंद करके थोड़े दूध और मांस अंडे आदि पर रखा जाएगा तो अनाज नहीं मिलने के कारण वे और कमजोर और दुबले हो जाएंगे और इस तरह जल्दी मर भी सकते हैं | इसलिए खाने-पीने की तरह रोगी के स्वास्थ्य पर भी पूरा ध्यान रखना जूरी है | कमजोर रोगियों की थोड़ी मात्रा में स्टार्च वाले फूड, श्वेत सार युक्त पदार्थ और थोड़ी मात्रा में और फैट्स देना चाहिए – और सभी तरह की चीजें जितनी रोगी सहन कर सकें उसे देना चाहिए डायबिटीज के रोगी को चीनी गुड़ ना देकर उसके बदले कम मात्रा में सेकरीन या ग्लिसरीन दे ग्लिसरीन डे सकते हैं, इनका स्वाद शहद की तरह मीठा होता है | मोटे और अच्छे शरीर वाले रोगियों को रोगियों को स्टार्च वाले आहार देना बिल्कुल बंद कर दें.
इस बीमारी में सहन होने से निम्नलिखित चीजें मोटे और दुर्बल सभी मरीजों को दी जा सकती है :––
मांस, अंडे, मछली, केकड़े का शोरवा, घी, मक्खन, पनीर, टोस्ट (पाव रोटी रोटी के छोटे-छोटे टुकड़े आग में अच्छी तरह से सेंकके मक्खन लगाकर), ताजी साग सब्जी, सरसों के तेल में तलकर देसी कोहरा, लौकी, सेम, गुल्लर, बैगन, मूली, मटर, मूली, मटर आदि सब्जी और फलों में आम जामुन, जामुन तो इस बीमारी की एक दवा है बंगाल का सफेद जामुन, नाशपाती संतरे और महताबी नींबू वगैरह जो फल ज्यादा मीठे नहीं होते वे सब फल दिए जा सकते हैं | प्यास मिटाने के लिए कागजी नींबू का रस थोड़े नमक के साथ पानी में डालकर पीने से लाभ होता है इसमें सब तरह का धूम्रपान मना है रोगी को पांव के घट्टे कभी ना काटने चाहिए और ना किसी जगह नश्तर ही लगवाना चाहिए |
डायबिटीज के रोगी के लिए नित्य सुबह शाम घूमना, कसरत करना, दंड करना, मुद्गर फेरना, इत्यादि किसी ना किसी तरह का व्यायाम या शरीर का मर्दन करना विशेष आवश्यक है | व्यायाम से पेशाब में चीनी की मात्रा घटती है लेकिन अगर बीमारी ज्यादा बढ़ी हुई हो तो रोगी को व्यायाम सहन नहीं होता और उसे से फायदे के बदले नुकसान ही ज्यादा होता है, इसलिए उन्हें सिर्फ शरीर का मर्दन और सुबह शाम टहलना चाहिए, किसी तरह का कठिन परिश्रम मानसिक चिंता और मानसिक परिश्रम करना बिल्कुल मना है | आहार की सुव्यवस्था और औषधि आदि सेवन करने से पेशाब में चीनी की मात्रा घट भी जाए तो भी जाए तो भी कुछ दिनों तक औषधि का प्रयोग करना आवश्यक है | इस बीमारी में रोगी को जीवन भर खानपान के को लेकर सावधान रहना चाहिए | क्यूंकि यह बीमारी प्रायः जड़ से समाप्त नहीं होती है | लालच में आकार कभी यदि भात, रोटी और आलू, मिठाई वगैरह खा ली तो पेशाब में फिर चीनी आने लगेगी और बहुत सारे परेशानी बढ़ जाएंगे | रोगी को हमेशा गर्म कपड़े इस्तेमाल करने चाहिए और इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कहीं सर्दी ना लग जाय.
Diabetes homoeopathic medicine
(औषधि)
यूरेनियम नाइट्रिकम 3X,30 – दिन में 3 बार—-:पेशाब में अधिक मात्रा में चीनी निकलना, दिन और रात में बहुत बार और अधिक मात्रा में पेशाब होना, आपेक्षिक गुरुत्व बढ़ जाना बहुत भूख लगना, बहुत प्यास रहना, बहुत भूख लगना, ज्यादा खाने पर भी कमजोर होते जाना, शरीर की गर्मी घट जाना, पेट में वायू ईकट्ठा होना, पेट फूलना, शरीर और जन इंद्रियों में घाव होना इत्यादि, बहुमूत्र रोग के प्रायः सभी लक्षणों में यह दवा लाभदायक है.
सिजिजियम जम्बोलिनम Q या 2x– यह दवा हमारे देश में पैदा होने वाले जामुन से बनाई जाती है| चीनी युक्त बहुमूत्र या मधुमेह की यह एक अच्छी दवा है सभी मतों के चिकित्सकों का कहना है कि पेशाब में चीनी निकलना बंद करने या घटाने के लिए इसके समान कोई दूसरी दवा नहीं है एलोपैथिक चिकित्सक जैम्बोलीन के नाम से बहुमूत्र रोग की पेटेंट दवा के रूप में व्यवहार करते हैं | पेशाब में बहुत चीनी, तेज प्यास, कमजोरी अधिक मात्रा में बार-बार पेशाब होना. पेशाब का आपेक्षिक गुरुत्व बढ़ जाना, बहुमूत्र के कारण शरीर में घाव इत्यादि बहुत सारे लक्षणों में इसके व्यवहार से शीघ्र लाभ होता है
आर्सेनिक ब्रोमाइड Q —- यहां एंटी सोरिक और एंटीसाइकोटिक और एंटीसाइकोटिक दवा है, चर्म रोग और उपदंश रोग वाले व्यक्तियों के बहुमूत्र रोग में इससे शीघ्र और अधिक लाभ होता है
इसकी 5 से 10 बूंद सुबह शाम थोडा सा पानी में मिलाकर लेना चाहिए.
एमोन एसेटिकम—अधिक मात्र में चीनी मिला पेशाब हो और उसके साथ ही बहुत ज्यादा पसीना हो (इतना पसीना कि जैसे स्नान किया हो) तो इससे लाभ होता है.
एसिड एसिटिकम —अत्यधिक प्यास, शरीर में जलन, शरीर का चमड़ा फिका और सूखा, बीच-बीच में पसीना 24 घंटे के भीतर बहुत बार साफ पानी की तरह पेशाब हो, उसके साथ ही अतिसार, इससे लाभ होता हैं.
क्रियोजोट 1x, 6 या 30 —इस दवा से बहुत से रोगी हमेशा के लिए अच्छे हो गए हैं प्रथम शक्ति की 10 बूंद दवा पानी के साथ दिन में 4 बार एक रोगी को देना चाहिए
रस रोमेटिक– पेशाब का आपेक्षिक गुरुत्व घटा रहना रहना लेकिन बार-बार काफी मात्रा में पेशाब करना, पेशाब में एल्ब्यूमिन रहना, डायबिटीज के अलावा दूसरी बीमारी में भी पेशाब बूंद बूंद निकलना, पेशाब के पहले एक तरह का भयानक दर्द होना जिसकी वजह से बच्चे का हर बार पेशाब करने के समय चिल्ला उठना इत्यादि लक्षणों में भी इसका व्यवहार व्यवहार होता है
डायबिटीज इनसीपीडस diabetes insipidus in hindi
इस जाति की बहुमूत्र की की बीमारी में पेशाब में चीनी नहीं रहती किंतु पेशाब बार-बार और काफी मात्रा में होता है, पेशाब का आपेक्षिक गुरुत्व कम होता है प्रायः यह बीमारी 10 से 25 वर्ष की उम्र के भीतर और स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों को ही यह बीमारी ज्यादा होती है.
रोगों की उत्पत्ति के कारण
1. वंश गत दोष =किसी किसी व्यक्ति के वंश में तीन या चार खानदान तक बीमारी का हमला होता रहता है
2. स्नायु मंडल (nervous system) पर प्रबल झटका (violent shock)—जैसे डर लगना घबराहट हो जाना, ज्यादा शराब पीना दिमाग आदि में चोट लगना इत्यादि.
3. किसी नई बीमारी में या किसी कठिन प्रकार के ज्वर के ठीक होने के बाद मूत्रमेंह हो जाता है
4. मस्तिष्क संबंधी कई गंभीर बीमारियों में जैसे मस्तिष्क का आबुर्द (ट्यूमर) मेडुला आब्लान्गेटा कि कोई भी बीमारी टयूबर्कुलर मेनिन्नजाइटिस इत्यादि
5.पेट में कोई घातक रोग– जैसे पेट में ट्यूमर, पेट में एन्युरिज्म ट्यूबर्कुलर पेरिटोनाइटिस आदि
इस बीमारी का वास्तविक कारण आज तक पता नहीं हुआ लेकिन अधिकांश डॉक्टर स्नायु की गड़बड़ी ही इसका प्रमुख कारण है
डायबिटीज इनसीपीडस का लक्षण diabetes insipidus symptoms in hindi
रोग के लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं| मुख्य लक्षण – पेशाब बार बार और बहुत ज्यादा मात्रा में होता है पेशाब का आपेक्षिक घनत्व कम — 1001 से 1005 तक रहता है | पेशाब बिलकुल साफ़ और रंगहीन होता है | पेशाब में यूरिया नामक पदार्थ अधिक रहता है, प्यास पेशाब के मात्रा के अनुसार बढ़ जाती है कभी-कभी प्यास नहीं भी रहती | जीभ से लार कम निकलता है जीभ लाल और चमकीली दिखाई देती है, मुंह हमेशा सूखा रहता है शरीर का ताप बहुत घट जाता है, भूख प्रायः स्वाभाविक ही रहती है और कुछ खाने पर रोगी को बहुत आराम मालूम होता है | कठिन प्रकार की बीमारी में पाचन शक्ति की कमी, सिरदर्द, शारीरिक और मानसिक दुर्बलता, अनेक प्रकार कीस्नायुकि बीमारियां हो जाना और डायबिटीज मेलिटस के प्रायः समस्त लक्षण प्रकट होते हैं कठिन प्रकार की बीमारी में फेफड़े और आंख की अनेक प्रकार की बीमारियां हो जाती है
यह बीमारी आराम होने में बहुत देर लगती है पर अगर शरीर की ग्रंथियों में गड़बड़ी ना हो तो जल्दी में मृत्यु नहीं होती रोग के कुछ समय में पेशाब में चीनी दिखाई देती है कुछ ना कुछ एल्बुमिन भी रहता है ज्यादा मात्रा में युरेट्स, औक्स्लेट और फॉस्फेट निकलता है
चिकित्सा और आहार-–-diabetes diet in hindi
स्वास्थ्य के लिए अच्छे स्वास्थ्यकर स्थान में रहना आवश्यक है है इसमें सहने योग्य सब तरह का आहार खाया जा सकता है गर्म पानी में नहाना और प्यास दूर करने के लिए भरपूर ठंडा पानी पीना चाहिए नींबू का रस पानी में डालकर पीना भी इस बीमारी में ज्यादा लाभदायक है इससे प्यास भी दूर होती है कितने ही रोगियों को प्यास ही नहीं रहती.
(औषधि) Homeopathic medicine for diabetes insipidus
एनन्थिरम — प्यासा और कमजोरी के साथ दिन रात में बहुत ही ज्यादा परिमाण में साफ पेशाब होता है तो यह दवा लाभदायक है.
एसिड फॉस 30— स्नायु दुर्बल पेशाब गाढ़ा, दूध की तरह सफेद और बहुत अधिक होना
एल्फाल्फा Q— बिना चीनी का बहुमूत्र, बार बार साफ पेशाब होता हो प्यास की कमी रहती हो और कभी ना रहती हो तो इस दवा से लाभ होता है
हेलोनियस Q— बहुत ज्यादा स्वच्छ पानी जैसा पेशाब, बहुत कमजोरी दिनोंदिन कमजोर होते जाना किडनी के पास हमेशा एक तरह का दर्द रहना हमेशा सोने की जी चाहना |
सिकेलि कोर––भीतर गर्मी और बाहर सर्दी मालूम होना, शरीर में जलन की वजह से शरीर पर कपड़े सहन नहीं होना बहुत बेचैनी, प्यास, खट्टा पानी पीने की इच्छा होना
नेट्रम मयूर3x, 6x, 12x, 30–- बहुत ज्यादा परिमाण में बार बार पेशाब होना बार पेशाब होना पेशाब होना, शारीरिक और मानसिक कमजोरी, खून की कमी, छींकने में पेशाब निकल जाना, बहुत कलेजा धड़कना और उससे पूरा शरीर कांपना, शरीर पर उदभेद निकलना और उसमें बहुत खुजलाहट.
Reference- Materia Medica (N.C ghosh)