Calcarea phos 30 uses in hindi

Calcarea phos uses in hindi | कैल्केरिया फॉस

calcarea phos uses in hindi

Calcarea phos
कैल्केरिया फॉस

फास्फेट ऑफ लाइम (phosphate of lime)

कैल्शियम फॉसफेट

खून की कमी, साँवले शरीर वाले व्यक्ति जिनके केश काले होते हैँ, दुबले पतले लोग। उत्तक औषधियों मे यह सबसे महत्वपूर्ण औषधि है। इसके काफी सारे लक्षण कैल्केरिया  कार्ब से मिलते जुलते हैँ, लेकिन बहुत ऐसे लक्षण हैँ जो एक दूसरे से काफी अलग हैँ।

जब बच्चे को निकलना शुरू हो उस समय की बीमारी, दाँत निकलने में देरी होना, दाँत निकलने के बाद उसमे पीब होना। सब तरह की हड्डी की बीमारियाँ, हड्डी टूटकर नहीं जुड़ पाना। दाँत निकलने के समय अतिसार, पेट फूलना आदि।

किसी लंबे बीमारी ठीक होने के बाद शरीर का खून ना बनना और शरीर का जीवनी शक्ति नहीं जाग्रत होना, शारीरिक मांसपेसियों की कमजोरी, शरीर सुखते जाना, रीढ़ में टेढ़ापन और कमजोरी। कंठमाला ग्रस्त व्यक्तियों में खींचन और आक्षेप। हड्डियाँ कमजोर होना

जो बच्चे काफी दुबले पतले हैँ, कंकाल दीखता है तथा उम्र के हिसाब से शरीर में मजबूती नहीं है या जिनका शरीर उमर के अनुसार नहीं बढ़ रहा, पेट या तो धंसा हुआ या फिर खूब ऊँचा, जिनका शरीर के तुलना में सर काफी बड़ा हो तथा हाथ पैर बिल्कुल पतला, पसंलियाँ काफी कमजोर।

हाथ पैर ठंडे रहते हैं और पाचन शक्ति कमजोर रहती है।
जहाँ पर हड्डियाँ आपस में जुड़ती हैँ वहां ये दवा का खास असर होता है।

इसके लक्षण मौसम में जरा सा भी बदलाव होने से बढ़ जाते हैँ। सुन्नापन और रेंगने जैसा अनुभव होना इस दवा का एक खास लक्षण है।

ग्रंथियों का बढ़ जाना और कंधे, गर्दन तथा अन्य जगहों पर गिल्टी होना।

दाँत की बीमारी

बच्चे के दाँत देरी से निकलना और जल्दी ख़राब होकर टूट जाना। जवान व्यक्ति में भी दाँत कमजोर मालूम पड़ना और उसमें छेद आदि होते रहते हैँ। दाँत जड़ से अलग हो जाते हैँ और पुराने दाँत काफी बड़े लगते हैँ, सभी तरह के दाँत और हड्डियों से सबंधित बीमारियों में फायदेमंद। (सिंफाईटम )

बच्चों का अतिसार

कमजोर और दुबले बच्चों में अतिसार और हैजा तथा दूध जरा सा भी ना पचा पाना, दूध पीते ही उलटी हो जाती है, लगातार दस्त होना, हरा रंग का दस्त और साथ में उजला और एक चिकना पदार्थ, दस्त गरम और उसके साथ आवाज के साथ हवा निकलना।

बच्चा जो भी पीता खाता है वही दस्त के साथ निकल जाता है, या उलटी के साथ निकल जाती है। शरीर ठंडा पड़ जाता है, आंखे बैठ जाती है और मुर्दे के जैसा चुप चाप पड़ा रहता है। बेहोश सा हो जाना (चायना- चायना के प्रयोग से कुछ ताकत आ जाती है इसके बाद कैल्केरिया फॉस )

बच्चा हर समय स्तन पान करना चाहता है और तुरत ही उल्टी कर देता है। खट्टी डकारें।

पेट

हर बार खाना खाने के समय पेट दर्द और कष्ट होना। नाभि के आस पास दर्द। सुअर का मांस खाने की इच्छा, नमकीन खाने की इच्छा और आग पर भूना मांस खाने की इच्छा। अत्यधिक भूख के साथ प्यास, पेट में जोर का अफारा जो खट्टी डकार आने के बाद कुछ समय के लिए कम हो जाती है।

Rachitis (रैकाइटिस या रीकेट ricket)

बच्चों का हड्डी का विकास ना होना हड्डी का और टांगों का टेढ़ापन। यह बीमारी होने के पहले बच्चे को सर्दी जरा सा भी बर्दास्त नहीं होती है। थोड़ा सा भी सर्दी पड़ने पर चाहे किसी की मौसम में हो शरीर में जगह जगह दर्द होने लगती ही और अकड़न होने लगती है, ऐंठन होने लगती है, ऐसा लक्षण ब्रायोनिया में भी है लेकिन रिकेट के समय के लक्षण में उसके प्रयोग से फायदा नहीं होगा। (सर का भार सँभालने का ताकत नहीं तथा शरीर का भार सँभालने में दिक्कत-एब्रोटेनम)

शरीर के किसी स्थान की हड्डी टूट जाये और जल्दी ना जुटे तो कैल्केरिया फॉस 3x, 6x या 12x के साथ सिंफाइटम 3x या Q का प्रयोग करने से हड्डी जल्दी जुड़ जाती है और हड्डी मजबूत हो जाती है।

हिप जॉइंट
हिप जॉइंट का यह प्रमुख दवा है।

वात दर्द

हर बार मौसम बदलने पर शरीर में दर्द और ऐंठन होना तथा दर्द का बढ़ जाना और जगह का बदल जाना, दर्द एक अंग से दूसरे अंग में चला जाता है, कमर के निचे की हड्डी में ज्यादा दर्द हो।

स्त्री रोग

स्त्री रोग समय से बहुत पहले ऋतू स्राव होना, लड़कियों में जल्दी जल्दी ऋतू स्राव होना यहा तक की पंद्रह दिन पर ही हो जाना लेकिन जवान महिलाओं में देर से स्राव होना, साथ में कमर में तेज दर्द। अंडे के सफेदी जैसा ल्यूकोरिया का स्राव

मुहाँसे

लड़कियों के जवानी शुरू होने के समय होने वाले मुहाँसे जो छोटे छोटे फुन्सियों जैसी होती है। खासकर खून के कमी से ग्रसित लड़कियों के मुहाँसे और साथ में सर दर्द का शिकायत, पाचन शक्ति कमजोर और पेट फुला होना आदि लक्षणों में।

रोग बढ़ना – नम, ठंडे जलवायु से, जलवायु और मौसम परिवर्तन से, पूर्वी हवा से
कमी – गर्मी से,  गरम सेक से शुष्क जलवायु से।
पोटेन्सी – 3x से लेकर 200, 1M

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