hernia homeopathy in hindi

हर्निया Hernia

Hernia

Types, Causes, Symptoms and Treatment in hindi

हर्निया मुख्य रूप से 2 प्रकार का होता है

  1. इन्गुइनल (Inguinal) हर्निया
  2. अम्बिलाईकल हर्निया ( Umbilical Hernia

 

इन्गुइनल हर्निया (Inguinal hernia) 

जंघा -सन्धि या गिलटी की तरह का हर्निया। इसमें आंत पेट से निकलकर अंडकोष में आ जाती है और वह निकली हुई आंत अगर उसी वक्त पेट के अन्दर नही जाय तो उसे इरिडिउसिब्ल (Irriducible) हर्निया कहा जाता है और जब अन्त्रथली (Hernial sac) इन्गुइनल रिंग के बाहर निकलकर अंडकोष के भीतर ही रुकी रहे और उसे अपने स्थान में न लाया जा सके, तब उसे Strangulated (स्ट्रैन्गुलेटेड) हर्निया कहते हैं। और आंत जब वह वापस नही आती या वापस आकर फिर बाहर निकल जाती है तो इस स्थिति को इन्कारसिरेटेड (Incarcirated) हर्निया कहते हैं।

अम्बिलाईकल हर्निया (Umbilical Hernia) 

यह अधिकतर छोटे उम्र के बच्चों को होता है, लक्षण – नाभि फूल जाती है और उसके अंदर नाड़ी रहती है, दबाने से एक तरह की कों कों की आवाज होती है और नाड़ी भीतर चली जाती है लेकिन फिर से तुरत बाहर निकल जाती है।

कारण (Hernia causes)

  • दमा या कुकुर खांसी

  • भारी चीज उठाना

  • कब्ज के कारण ज्यादा जोर लगाकर या कांखकर शौच करने की कोशिश करना

  • ज्यादा तेजी से और बहुत दूर तक लगातार  पैदल चलना या बहुत ऊँचे पहाड़ आदि पर चढ़ना

  • कोई फूंकने का बाजा बहुत दिन तक बजाना

  • घोड़े की सवारी करना

  • पेशाब करते समय बहुत जोर लगाना

  • पेट पर जोर का दवाब पड़ना

  • प्रसव के समय अत्यधिक वेग आदि

लक्षण (Hernia Symptoms)

पहले जांघ की दोनों तरफ की गिल्टियों में से किसी तरफ की गिलटी के पास फूल जाता है, खड़े होने से सूजन साफ़ दिखाई देता है, पर सोने या सोकर जोर से सांस लेने से वह घट जाती है। जोर से दबा देने से भी निकली हुई आंत भीतर चली जाती है, और तब सूजन भी नही रहती। यहाँ गिलटी और बाघी के साथ भ्रम हो सकता है, बाघी या गिलटी होने से वह जगह पत्थर की तरह कड़ा हो जाता है और वहाँ प्रदाह रहता है तथा सोने या दबाने से सूजन नही घटती है।

कई बार बहुत भारी बोझ को उठाने से, जोर से खांसने से या बुढ़ापे की कमजोरी के कारण आंत बाहर आ जाते हैं,  सावधानी से धीरे-धीरे चढ़ा देने या दबा देने से अंदर चली जाती है। कभी-कभी ऑपरेशन करवाना जरूरी हो जाता है, आंत को सर्जरी द्वारा अंदर करके सी देने से आराम आ जाता है, लेकिन भारी बोझ को उठाने से फिर से शिकायत हो सकती है।

ईलाज (Hernia Treatment)

कैल्केरिया कार्ब 30, 200 दिन में 3 बार- हर्निया की मुख्य दवा , खासकर अगर रोगी मोटा थुलथुला, थुलथुले बच्चों में हर्निया

लायकोपोडियम 30 दिन में 3 बार – दायें भाग के हर्निया के लिए, यह दायें अंडकोष में आंत उतरने में उपयोगी है | रोगी को दायी जांघ में काटने सा दर्द होता है |

नक्स वोमिका 1M (सप्ताह में 1 बार ), कोक्युलस 30 दिन में 3 बार – बायें भाग के हर्निया के लिए, यह छोटे बच्चों के नाभि के हर्निया अम्बिलाईकल ( Umbilical) में भी उपयोगी है। पेट फूलना, उलटी होना। अगर नक्स से फायदा नही हो तो कोक्युलस इंडिका दिया जाना चाहिए।

एकोनाईट 30 और बेलाडोना 6 या 30 हर 30 मिनट पर – जब अचानक आंत बिच में लटक जाए और उसकी वजह से सूजन, जलन वाला दर्द, घबराहट, ठंडा पसीना और मृत्यु का डर हो।

प्लम्बम मेट 30 दिन में 3 बार- अगर सख्त कब्ज की वजह से हर्निया की शिकायत हो। नाभि के चारो तरफ दर्द

परहेज और जरूरी बातें 

  • किसी भी प्रकार की धूम्रपान की आदत को तुरंत छोड़ दें। शराब, सिगरेट, तंबाकू आदि के अलावा मांस, मछली का सेवन भी बिल्कुल मना है, यह आपकी समस्या को बढ़ा सकता है।
  • पेट साफ रखें, कब्ज से बचें, ऐसे कार्यों को ज्यादा करने से बचें, जिनसे पेट की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता हो। इसके अलावा अपने वजन पर भी नियन्त्रण रखने का प्रयास करें
  • कोई भारी बोझ न उठायें 
  • खाना बहुत अधिक न खाएं 
  • एक बार में बहुत सारा पानी नहीं पीना चाहिए, बल्कि थोडा थोडा या घूंट घूंट करके 
  • चाय कॉफी आदि से बचना चाहिए 
  • रोग ठीक होने तक घुड़सवारी नहीं करना चाहिए, मोटर साईकिल आदि नहीं चलाना चाहिए

 

किसी कुशल होम्योपैथिक डॉक्टर से ईलाज करवाना चाहिए, अगर रोग के शुरूआती अवस्था  से ठीक  से ईलाज किया जाए तो ऑपरेशन की जरूरत नही पड़ती।

अगर रोग बहुत ज्यादा बढ़ गया हो तो ऑपरेशन करा लेना ठीक है

 

source –

practitioner’s guide by Dr NC ghosh

materia medica

diseases and homeopathic treatment

adhunik homeo chikitsa

 

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1 thought on “हर्निया Hernia”

  1. small girl age 5 years stomack ke pass sujan hai dabane se under jata hsi phir bahar aa jata hai

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