Night fall or involuntary nocturnal emissions in hindi
Spermatorrhoea
स्वप्नदोष तथा धात रोग
स्वप्नदोष क्या है
Nightfall (Swapandosh) kya hai?
इस बीमारी मे नींद में सोये व्यक्ति को गंदे स्वप्न आते हैं, उसके शरीर में उत्तेजना होती है और वीर्य स्खलित होकर बाहर निकल जाता है। अनैच्छिक वीर्य स्राव, यह नींद (दिन या रात) में सपने आने के दौरान या बिना नींद के भी हो सकता है। इस बीमारी को ही स्वप्नदोष या नाईट फॉल (Night fall) कहा जाता है। उत्तेजना या बिना स्चवप्न के भी वीर्य बाहर निकल सकता है और शौच के समय जोर लगाने के समय या शौच के बाद बिना किसी अनुभूति के वीर्य निकलना भी एक बीमारी है जिसको शुक्रमेह (Spermatorrhoea) कहा जाता है। रात या दिन को स्वप्न दोष होना भी स्पर्माटोरिया के ही लक्षण हैँ। आजकल बहुत लोगों को यह बीमारी हुआ करती है। अनैच्छिक वीर्य स्राव ( Involuntary emission), Nocturnal emission.
कारण (Causes for Night fall or swapndosh)
इसका प्रमुख कारण युवावस्था में हद से अधिक हस्तमैथुन, संभोग, स्वप्नदोष आदि कारणों से वीर्य नष्ट होता जाता है और स्नायुमंडल कमजोर हो जाता है जिसके कारण वीर्य धारण की क्षमता खत्म हो जाती है और थोड़ा सा उत्तेजना होते ही स्खलन हो जाता है।
मसालेदार भोजन करना, बुरी संगति हर समय अश्लील किताबें पढ़ना, अधिक मानसिक परिश्रम करना,शारीरिक कमजोरी, मल मूत्र का वेग रोकने से, मूत्र नली के रोग, अधिक मैथुन या हस्तमैथुन, शराब या उत्तेजक पदार्थों के सेवन करना, कब्ज रहना। रात मे गर्म दूध पीने से भी ऐसा हो जाता है कभी कभी।
लक्षण (Symptoms)
शौच के समय जोर लगाने के समय या शौच के बाद बिना किसी अनुभूति के वीर्य निकलना भी एक बीमारी है जिसको शुक्रमेह (Spermatorrhoea) कहा जाता है। कभी कभी किसी औरत को देखते ही या किसी स्त्री के बारे में सोचते ही या गंदे उपन्यास आदि पढ़ते पढ़ते वीर्य स्खलन हो जाता है। नींद में गंदे स्वप्न आते हैँ या बिना स्वप्न के भी स्खलन हो सकता है, दिन या रात कभी भी हो सकता है। बार बार स्वप्नदोष होने से कमजोरी महसूस हो सकती है और रोगी कमजोर होता जाता है। रोगी को मानसिक अवसाद के कारण किसी काम में मन नहीं लगता। हर समय सोचता रहता है और चिंतित रहता है। रोगी एकांत रहना पसंद करता है किसी से बात चित करने से डरने लगता है। धड़कन तेज हो जाती है हाथ पैरों के तलवों में जलन, सुस्ती, बेचैनी, शीघ्र पतन, वीर्य का पतला हो जाना आदि परेशानी उत्पन्न हो सकते हैँ।
Homeopathic medicine for nightfall and spermatorrhoea in hindi
स्वप्नदोष की होम्योपैथिक दवा
स्टैफिसग्रिया 30, दिन में 3 बार- चिड़चिड़ा, हर समय यौन या सेक्स सबंधी विषय के बारे में सोचा करता है, अत्यधिक हस्तमैथुन और सम्भोग आदि के दुष्परिणाम। कमजोरी और आँख धंसी हुयी।
डायस्कोरिया और कोनियम 30 – रात को बिना लिंग में तनाव आये हुए ही वीर्य स्खलन, पैर और तलवों में काफी कमजोरी महसूस हो। बिना तनाव के तुरत में वीर्य निकल जाना, साथ में नपुंसकता के लक्षण।
कैंथरिस 30, नक्स वोमिका 30 और कैलेडियम 30 – स्वप्न दोष के समय जब जबरदस्त तनाव हो और दर्द के साथ जब काफी ज्यादा उत्तेजना हो, तुरत उत्तेजित हो जाना और फिर स्वप्न दोष हो जाना।
सैलिक्स नायग्रा 30, सेलेनियम 30– वीर्य पतला, गंधहीन। नींद में, सपने में, टहलते समय, पेशाब या पाखाना के समय जोर लगाने से वीर्य या सफेद चिकना पदार्थ निकला करता है और चूता रहता है। साथ में शीघ्र पतन और सर और लिंग के बाल झड़ने जैसी समस्या।
एसिड फॉस 30 या 200, चायना Q – शरीर से काफी मात्रा में जैविक तरल, वीर्य आदि निकल जाने से काफी दुर्बलता। मानसिक और शारीरिक कमजोरी। स्मरण शक्ति कम हो जाना, अधिक लैंगिग कर्मो के कारण दुर्बलता और नपुंसकता।
नक्स वोम 30 या 200- कम उम्र से ही हस्तमैथुन के कारण रोग, चिड़चिड़ा मिजाज का रोगी, शराब पीने वालों में और जो लोग बैठे बैठे काम करते हैं या जो आलसी हैँ।
साईलीशिया – हर लक्षणों में 1000 या और ऊँचे पावर की 15 दिन के अंतराल पर 1 बार ।
Home remedy (धात रोग का घरेलू उपचार )
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रोज सुबह खाना खाने के बाद 2 पके केले शहद के साथ खायें, और इसके बाद 250 ग्राम गाय का दूध पिएं, यह स्वप्नदोष को दूर करने और कमजोरी को खत्म का बहुत अच्छा उपाय है।
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10 -10 ग्राम गोखरू, सूखे आंवले और गिलोय को कूटकर या पीसकर चूर्ण बना लें, रोज 2 ग्राम चूर्ण शहद के साथ चाटकर दूध पिएं, 40 दिन तक।
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रोज 2 लहसुन खाकर ऊपर से आधा किलो दूध पीने से भी स्वप्नदोष ठीक हो जाता है।
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जामुन की सूखी गुठली का चूर्ण 5 ग्राम रोज सुबह पानी के साथ प्रयोग करें।
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बबूल के नर्म पत्तों और कलियों को सुखाकर और पीसकर इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर इस चूर्ण को रोज सुबह शाम पानी के साथ लें, इससे स्वप्नदोष और प्रमेह रोग दूर होता है।
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ईमली के कुछ बीज को छिलका उतारकर, फिर उसमें उतने ही मात्रा में मिश्री मिलाकर पीसकर चटनी बना लें. रोज 1 चम्मच चटनी दूध के साथ 20 दिन तक लेना चाहिए।
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कब्ज, अजीर्ण आदि ना होने दें
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गरम पदार्थ, सिगरेट, गुड़ और सोने से पहले गर्म दूध का सेवन नहीं करना चाहिए।
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रोज सुबह शाम टहलना चाहिए
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मानसिक शांति जरुरी है
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मांस, अंडा और गरम मसाले आदि खाना बंद कर देना चाहिए।
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पका फल, बादाम, पिस्ता, मुनक्का, किसमिस, छोटी मछली, दूध, घी, मट्ठा हरा साग सब्जी का सेवन करना चाहिए।
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रोज ठंडे पानी से नहाना जरुरी है।
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रोज त्रिफला का चूर्ण 1 चम्मच गरम पानी के साथ खाना खाने के बाद लें -इससे पेट साफ रहेगा। रोज व्यायाम और योगा करना चाहिए।
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सुबह उठते ही 1 गिलास ठंडा पानी पिएं।
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शिश्न को रोज सुबह पानी के धार से 10 मिनट तक धोएं।
बुरे विचारों में पड़े रहने से दवा कोई फायदा नहीं करेगा इसलिए ईलाज के लिए सब से पहले रोगी को समझाकर उसके विचार और मन को स्वस्थ बनाना चाहिए, भोजन भी सात्विक होना जरुरी है