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(जेल्सीमियम) Gelsemium uses in hindi

Gelsemium
जेल्सीमियम

अमेरिका में पाए जाने वाले एक तरह के छोटे आकार के पेड़ की ताजी जड़ से इसका मदर टिंक्चर बनाया जाता है।

यह दवा प्रमुख रूप से स्नायुमंडल (Nervous system) पर अधिक काम करती है। इन्फ्लुएंजा, मिर्गी, लकवा, और रक्तामाशय आदि रोगों में इस दवा का सफलता पूर्वक प्रयोग किया जाता है।

इसका प्रमुख लक्षण, औंघाई आना, सर में चक्कर आना, शरीर में कम्पन और जड़ता है। इन लक्षणों के अनुसार डिफ्थीरिया और लकवा आदि रोगों का आसानी से ईलाज किया जाता है। हाथ, पैर, जीभ और पूरे शरीर में कमजोरी और इसके कारण कंपकंपी होने लगना

मानसिक लक्षण

बहुत ज्यादा सुस्ती, निस्तेज, अकेले रहना पसंद। हिलना नहीं चाहता है। किसी के पास जाने से या शरीर पर हाथ लगाने से तुरत चिढ़ जाता है। किसी भी विषय में मन लगाकर सोच ना सकना – मानसिक निस्तेजता और स्नायविक दुर्बलता। कभी कभी मानसिक उत्तेजना का भाव। शारीरिक शिथिलता, हर वक्त लेते रहने की इच्छा। नाड़ी की गति बहुत धीमी होना लेकिन थोड़ा सा हिलने डुलने से तेज हो जाती है। ऊँगली से अपने इच्छा के अनुसार काम न हो पाना, चलने के समय पैर ठीक से ना रख पाना। हर समय औंघाई आना। हाथ पैर में ऐंठन होना। अकेले रहने का मन करना, समाज और भीड़ में जाने से डर होना, किसी से बातचीत करना पसंद नहीं आना। मंदिर, सिनेमा या कोई सभा वगैरह में जाने के पहले दस्त लग जाना।

चेहरा
चेहरा भारी, गरम और तमतमाया हुआ रहना। निचला जबड़ा लटक जाना। मुंह से बदबू आना, जीभ मोटी हो और सुन्न रहना, उसपर पीले रंग की मैल चढ़ी हो। बाहर निकालने पर काँपती है।

सिर
सिर में चारो ओर से रस्सी कसे होने के तरह का दर्द होना। माथा के पिछले हिस्से में दर्द होना। दाहिने ओर दर्द होना। हलके बोझ के जैसा भारीपन के साथ सर दर्द। सर में दर्द होने के कारण आँखों से ठीक से दिखाई नहीं देना। पेशाब अधिक हो जाने के बाद आराम महसूस होना। रोगी अपने सिर को तकिये पर ऊँचा रखना चाहे और इससे उसे आराम लगता हो।

मन
रोगी शांत और अकेला रहना चाहे। निडर रहे, रोग की चिंता ना करे, नींद में बोलना। अत्यधिक सुस्ती। बच्चा गिरने के डर से माँ को पकड़ ले। कोई समझने में आलसी और सुस्त रहने का स्वभाव।

आँख
आँखों की ऊपरी पलकों का लटक जाना। एक चीज दो दिखाई देना। आँख की पेशियों का सिकुड़ना और फड़कना, ऑंखें खोल पाने में असमर्थ। एक आँख की पुतली सिकुड़ी रहे और दूसरी की फैली हुई। धुंधला दिखाई देना। आँखों में पानी आना, पलकें सट जाना। पलक बहुत भारी, जिससे आँख नहीं खोल सकना।

नाक
नाक से पानी के जैसा पतला स्राव, जलन करने वाला। छींके आना। नाक भारी मालूम पड़ना और शुष्क रहना। बुखार के साथ जुकाम होना जिसमें छींके बहुत आये।

छाती
अत्यधिक सुस्ती के साथ धीरे धीरे सांस चलना, छाती में बोझ और दबाव का अनुभव होना। सीने मे दर्द के साथ सूखी खाँसी और साथ में इन्फ्लुएंजा। नयी सर्दी खाँसी होना।

पेट
पेट में खालीपन महसूस होना। पानी पीने का मन नहीं करना। शरीर में बहुत कमजोरी बना रहना। शाम के समय हिचकी बढ़ जाना। पेट में अचानक से अकड़न का दर्द होना जिससे रोगी चिल्लाने लगे। पेट की पेशियों में घाव की तरह दर्द होना। बुखार के समय पेट में दायीं ओर दर्द महसूस होना। पेट में गैस और गड़गड़ाहट होना।

पेशाब
ठंडक और कम्पन के साथ पानी के जैसा साफ पेशाब होना। अनजाने में काफी मात्रा में पेशाब होना।

मल
बुरी खबर सुनने पर पतला दस्त हो जाना, कही जाने के लिए तैयार होते ही दस्त होने लगे। बहुत मात्रा में बहुत पतला या बिना दर्द के मल होना। गुदामार्ग या मल -नली में हल्का लकवा।

ज्वर
ठंड से कंपा देने वाला बुखार। कम्पन इतना अधिक होना की रोगी दूसरे व्यक्ति को पकड़ के रहना चाहे। काफी ओढ़ लेने के बाद भी कम्पन नहीं जाये। पूरी पीठ में ठण्ड और कम्पन लहर के जैसा इधर उधर होता रहे। बुखार और पसीना अधिक देर तक बना रहे। कमजोरी, माथे में दर्द और सारी पेशियों में घाव के तरह पीड़ा होना।पित्त ज्वर, बेहोशी जैसा हालत, आँतों का ज्वर। प्यास की कमी और अत्यधिक थकावट और आलस।

सिर दर्द
कमजोरी और कम्पन के साथ अगर सिर दर्द हो तो इससे फायदा होगा।

गला
चिल्लाकर बोलने में असमर्थ, धीरे धीरे फुसफुसाकर बोलना, गले की आवाज बैठ जाना। गला गरम पदार्थ निगलने में कठिनाई हो। तालु में सुरसुराहट और खुजली होना, गले में ढेला की तरह अटका हुआ महसूस होना। गले से लेकर कानों तक दर्द बने रहना। चेहरा लाल और आवाज भारी।

पक्षाघात
मलद्वार का पक्षाघात जिससे अनजाने में मल निकल जाता है और रोगी को कुछ पता नहीं चल पाता। मूत्र थैली का पक्षाघात जिससे मूत्र बंद हो जाता है। कभी कभी पेशाब रुक रुक कर निकलता रहता है। मूत्राशय फूल जाता है। पेशाब हो जाने के बाद भी ऐसा महसूस होना की भीतर पेशाब रह गया है।

नपुंसकता
हस्तमैथुन या स्वप्नदोष के कारण पुरुष इंद्रिय का शिथिल हो जाना। बिना स्वप्न देखे ही स्वप्न दोष हो जाना।

कान
अचानक से कान बंद हो जाना और कुछ भी सुनाई नहीं देना, सों सों आवाज होना गले से कान तक दर्द।

ज्वर
सभी तरह के बुखार और सर्दी जुकाम में इससे फायदा होता है। चुपचाप पड़ा रहता है। उठकर बैठने पर सर में चक्कर आ जाता है और लेट जाता है। खासकर मूर्छा और वायु ग्रस्त महिलाओं और स्नायविक कमजोर रोगियों के लिए। बुखार जाने के बाद अत्यधिक कमजोरी। टायफॉइड के लक्षण की पहली अवस्था जब शरीर में दर्द, कमजोरी, चेहरा भारी और सुस्ती लगे। जब पता चल जाए की टायफॉइड ही है तो फिर बाद की दवा बैप्टीशिया, रस टॉक्स आदि देना चाहिए। जेल्सीमियम में रोगी चुप चाप पड़ा रहता है लेकिन बैप्टीशिया में छटपटाता और बकता रहता है और इसमें पेट की गड़बड़ी रहती है, पाखाना, पेशाब, पसीना हर चीज से काफी बदबू आती है।

ह्रदय
रोगी को ऐसा लगना की उसकी ह्रदयगति रुक जाएगी और वह तुरत मर जायेगा, नाड़ी बहुत क्षीण। हिस्टीरिया ग्रस्त महिलाओं का कलेजा धड़कना, किसी शोक की खबर सुनकर बीमारी।

वृद्धि – हिलने डुलने पर , ठंड मौसम से, मानसिक उत्तेजना से, बुरी खबर सुनने से, धूम्रपान से, बीमारी के बारे में सोचने से।

कमी – उत्तेजक दवाओं के सेवन से, ठंडी हवाओं से।

क्रियानाशक – कॉफिया, चायना, डिजिटेलिस

सम्बन्ध
बुखार में बैप्टीशिया, इपिकाक से। लकवा में कॉस्टिकम और आर्जेन्टम नाइट्रिकम से, जीभ कम्पन्न में लैकेसिस, आर्सेनिक और लाइकोपोडियम से।

मात्रा – 2x, से 200 और ऊँची पावर

 

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